दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच और गुजरात पुलिस ने एक साझा अभियान में शनिवार को गुजरात के भरूच ज़िले के अंकलेश्वर से 518 किलो हेरोइन ज़ब्त की है.
अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इसकी क़ीमत पांच हज़ार करोड़ रुपये आंकी गई है.
गुजरात पुलिस और दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल की तरफ़ से जारी बयान के मुताबिक़ ये ड्रग्स अंकलेश्वर की एक फ़ार्मा कंपनी से पकड़ी गई है. पाँच लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है.
पिछले दो सप्ताह के भीतर, दिल्ली पुलिस और गुजरात पुलिस ने अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी करते हुए भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद की है.
पुलिस के बयानों के मुताबिक़, अब तक 1289 किलो हेरोइन और उच्च श्रेणी का 40 किलो हाइड्रोपोनिक गांजा बरामद किया है.
पुलिस के मुताबिक़ अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इन ड्रग्स की क़ीमत 13 हज़ार करोड़ रुपए के क़रीब है.
इससे पहले गुरुवार शाम (दस अक्तूबर) को दिल्ली पुलिस ने पश्चिमी दिल्ली के रमेश नगर में एक दुकान से नमकीन के पैकेट में रखी 208 किलो कोकीन बरामद की थी. इसकी क़ीमत अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में क़रीब दो हज़ार करोड़ रुपये आंकी गई थी.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक़, ये ड्रग्स रमेश नगर की एक पतली गली में स्थित एक दुकान में बीस पैकेटों में रखी थी और आगे डिलीवर की जानी थी.
वहीं, एक अक्तूबर को दिल्ली पुलिस ने महिपालपुर में एक वेयरहाउस से 562 किलो हेरोइन और 40 किलो हाइड्रोपोनिक गांजा बरामद किया था.
स्पेशल सेल के एक अधिकारी ने बताया, “एक अक्तूबर और दस अक्तूबर को दिल्ली के दो अलग-अलग इलाक़ों से जो ड्रग्स बरामद की गई है, वह एक ही ड्रग्स रैकेट से संबंधित हैं. गुजरात के भरूच में बरामद ड्रग्स भी इसी रैकेट से जुड़ी है.”
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में कई गिरफ़्तारियां भी की हैं. पुलिस के मुताबिक़, जिस वेयरहाउस से ड्रग्स बरामद की गईं वो तुषार गोयल नाम के व्यक्ति का है.
पुलिस का कहना है कि अभी तक की जांच में, जो लोग गिरफ़्तार किए गए हैं, उनमें तुषार गोयल ही सबसे बड़े स्तर के ड्रग्स पेडलर हैं.
गुजरात पुलिस ने भी की है कार्रवाई
वहीं, दूसरी तरफ़ गुजरात पुलिस ने नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के साथ मिलकर भोपाल की एक फ़ैक्ट्री से पाँच अक्तूबर को 907 किलो मेफ़ीड्रोन (एमडी) ड्रग्स बरामद की थी, जिसकी क़ीमत अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में 1814 करोड़ रुपए आंकी गई थी. ये कार्रवाई दिल्ली पुलिस की ड्रग्स के ख़िलाफ़ कार्रवाइयों से अलग है.
गुजरात पुलिस के मुताबिक़, क़रीब पांच हज़ार किलो कच्चा माल भी इस छापेमारी के दौरान बरामद किया गया था.
गुजरात पुलिस की एटीएस और एनसीबी (नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) की टीम ने लंबे अभियान के बाद ये छापेमारी की कार्रवाई की थी.
ये ड्रग्स भोपाल के बागरोड़ा इंडस्ट्रियल एस्टेट में चल रही एक फ़ैक्ट्री से बरामद की गई थी.
इस छापेमारी के दौरान पुलिस ने 57 वर्षीय प्रकाशचंद्र चतुर्वेदी और 40 वर्षीय सान्याल प्रकाश को गिरफ़्तार किया था.
गुजरात एटीस के अधिकारी सुनील जोशी ने बताया, “गुजरात एटीएस और एनसीबी के पास ख़ुफ़िया जानकारी थी. एक लंबे ऑपरेशन और जानकारियां पुष्ट करने के बाद छापेमारी की गई.”
गुजरात पुलिस के मुताबिक़, सान्याल प्रकाश पहले भी एमडी ड्रग्स के साथ 2017 में मुंबई में गिरफ़्तार हो चुके थे और पांच साल जेल में रहे थे.
सुनील जोशी के मुताबिक़, “जिस फ़ैक्ट्री पर छापा मारा गया है, वह क़रीब 2500 गज में चल रही थी और ये गुजरात एटीएस की ड्रग्स के ख़िलाफ़ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है. इस फ़ैक्ट्री की क्षमता रोज़ाना 25 किलो एमडी उत्पादित करने की थी.”
गुजरात एटीएस और एनसीबी फ़िलहाल ये जांच कर रही हैं कि ये ड्रग उत्पादन ऑपरेशन कितने समय से चल रहा था और अवैध तरीक़े से तैयार की जा रही एमडी ड्रग्स कहाँ-कहाँ और किन लोगों को भेजी जा रही थी और ड्रग्स के कारोबार से आने वाला पैसा कैसे और किसे मिल रहा था. इस ड्रग कार्टल में कौन-कौन लोग शामिल हैं.
गुजरात पुलिस के मुताबिक़, अभी इस ड्रग कार्टल से जुड़े और लोगों के नाम सामने आ सकते हैं और इसके तार कई राज्यों से जुड़ सकते हैं.
सुनील जोशी के मुताबिक़, “इस ड्रग नेटवर्क के तार देश के बाहर भी जुड़े हो सकते हैं. हमारी जांच अभी चल ही रही है और आगे भी इसमें कार्रवाइयां हो सकती हैं.”
अब तक 13 हज़ार करोड़ के ड्रग्स ज़ब्त
वहीं, दिल्ली पुलिस एक अक्तूबर को स्पेशल सेल की ट्रांस यमुना रेंज यूनिट ने महिपालपुर से जो ड्रग्स पकड़ी हैं, वो हाल के सालों में पकड़ी गई कोकीन की सबसे बड़ी मात्रा में से एक है.
पुलिस के मुताबिक़, 562 किलो कोकीन के अलावा जो 40 किलो हाइड्रोपोनिक गांजा पकड़ा गया था, वो थाइलैंड से आया था.
स्पेशल सेल के एक अधिकारी के मुताबिक़, “जो ड्रग्स महिपालपुर से पकड़ी गई हैं वो भारत के बाहर से लाई गई थी. हालांकि इसके पीछे कौन सा अंतरराष्ट्रीय ड्रग कार्टल है, उस तक पहुंचने में अभी वक़्त लग सकता है.”
दिल्ली पुलिस ने एक अक्तूबर को पकड़े गए ड्रग्स के संबंध में चार लोगों को गिरफ़्तार किया था. ये हैं 40 वर्षीय तुषार गोयल, 27 वर्षीय हिमांशु कुमार, 23 वर्षीय औरंगज़ेब सिद्दीक़ी और 48 वर्षीय भरत कुमार.
पुलिस के मुताबिक़, ड्रग्स के ख़िलाफ़ कार्रवाइयों के दौरान अगस्त महीने में दिल्ली में सक्रिय एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग कार्टल के बारे में पुलिस को ख़ुफ़िया जानकारी मिली थी, जिसके आधार पर छापेमारी की कार्रवाई की गई और इस बड़ी तादाद में ड्रग्स बरामद की गई.
दिल्ली पुलिस ने अमृतसर एयरपोर्ट से जितेंद्र उर्फ जस्सी को भी ड्रग्स नेटवर्क से जुड़े होने के आरोप में गिरफ़्तार किया था और अमृतसर के एक गांव में छापेमारी करके क़रीब दस करोड़ रुपये की क़ीमत की ड्रग्स बरामद की थी. ये घटनाक्रम पांच अक्तूबर को हुआ था.
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के एक अधिकारी के मुताबिक़, “ये सभी कार्रवाइयां अभी तक एक ही ड्रग कार्टल से जुड़ी हुई हैं और इससे जुड़े कुछ संदिग्ध देश के बाहर भी हैं.”
दिल्ली पुलिस ने वीरेंद्र बासोया नाम के एक संदिग्ध ड्रग तस्कर के ख़िलाफ़ लुकआउट नोटिस भी जारी किया है.
स्पेशल सेल के एक अधिकारी के मुताबिक़, “अभी तक जो लोग पकड़े गए हैं, उनसे मिली जानकारियों के आधार पर इस नेटवर्क से जुड़े और लोगों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है.”
पुलिस के सामने कई चुनौतियां
हाल के दिनों में ड्रग्स के ख़िलाफ़ पुलिस की कार्रवाइयों को बड़ी सफलता माना जा रहा है. लेकिन इससे कई सवाल भी उठे हैं.
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह कहते हैं, “जिस बड़े पैमाने पर ड्रग्स पकड़ी गई हैं, यह अभूतपूर्व है. निश्चित रूप से पुलिस को कामयाबी मिली है लेकिन ये सवाल भी है कि इस तरह के ड्रग नेटवर्क इतनी आसानी से भारत में कैसे काम कर रहे हैं. पुलिस ने जितना काम किया है, उससे कहीं अधिक अभी किया जाना बाक़ी है. अभी तक कोई बड़ा किंगपिन गिरफ़्तार नहीं हुआ है.”
विक्रम सिंह सवाल करते हैं, “ड्रग्स के ख़िलाफ़ क़ानून के तहत पुलिस इससे अर्जित संपत्तियों को ज़ब्त कर सकती है. लेकिन अभी तक ड्रग्स तो ज़ब्त किए गए हैं लेकिन इन कार्टल से जुड़े किसे बड़े अपराधी के ख़िलाफ़ संपत्ती ज़ब्त करने की कार्रवाई नहीं हुई है. पुलिस अगर सख़्ती से जांच को आगे बढ़ाएगी तो निश्चित रूप से कुछ बड़े नाम सामने आएंगे.”
विश्लेषक ये भी मान रहे हैं कि बड़ी तादाद में ड्रग्स का पकड़ा जाना ये भी बताता है कि भारतीय बाज़ार में ड्रग्स की मांग बढ़ रही है और इसलिए ही इसकी सप्लाई बढ़ी है.
विक्रम सिंह कहते हैं, “इस बड़ी तादाद में ड्रग्स के पकड़े जाने से भी पता चलता है कि भारत में ड्रग्स की डिमांड बढ़ रही है. अगर डिमांड नहीं बढ़ती तो इतनी बड़ी मात्रा में सप्लाई नहीं होती. इस कारोबार में पैसा भी बहुत है, इसलिए अपराधी इसकी तरफ़ आकर्षित हो रहे हैं. पुलिस की कार्रवाई से पता चलता है कि ड्रग्स तस्करी के नेटवर्क और संगठित हुए हैं. हाल के सालों में ड्रग्स से जुड़े अपराध बढ़े हैं.”
इस बड़े पैमाने पर ड्रग्स के पकड़े जाने से ये सवाल भी उठा है कि क्या भारतीय बाज़ार में ड्रग्स बहुत आसानी से उपलब्ध हैं?
पंजाब यूनिवर्सिटी के समाज शास्त्र विभाग में शोधकर्ता और नशे के ख़िलाफ़ अभियानों से जुड़े रहे शीशपाल शिवकंड कहते हैं, “पहले के मुक़ाबले आज बाज़ार में ड्रग्स बहुत आसानी से उपलब्ध है. पंजाब और हरियाणा में नशा करने वाले लोगों के साथ काम करके हमें अहसास हुआ कि बाज़ार में ड्रग्स की उपलब्धता बहुत बढ़ गई है.”
शीशपाल कहते हैं, “पुलिस ने हाल के दिनों में जिस बड़े पैमाने पर ड्रग्स पकड़ी हैं, ये अभूतपूर्व है. लेकिन ड्रग्स के ख़िलाफ़ कार्रवाइयां की जाती रही हैं. सवाल यह है कि क्या इन कार्रवाइयों से ड्रग्स नेटवर्क टूटेगा? क्या बाज़ार में ड्रग्स की कमी आएगी?”
शीशपाल कहते हैं, “जिस आसानी से ड्रग्स बाज़ार में उपलब्ध हैं, उसे देखते हुए ये कार्रवाई हैरान नहीं करती. अच्छी बात ये है कि एजेंसियां अब इस समस्या को लेकर गंभीर हैं और इन नेटवर्क को तोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू हुई है.”
दिल्ली पुलिस के मुताबिक़, जो ड्रग्स पकड़े गए हैं वो भारत के बाहर से लाए गए हैं. ऐसे में ये सवाल और भी गंभीर है कि ये नेटवर्क भारत की सीमा में कैसे ड्रग्स पहुंचाने में कामयाब हो रहे हैं.
विक्रम सिंह सवाल करते हैं, “इस बड़े पैमाने पर ड्रग्स का पकड़ा जाना ये भी दर्शाता है कि ड्रग्स कार्टल का नेटवर्क भारत में कितना फैल चुका है. ज़ाहिर है इन लोगों को कहीं से समर्थन और सहयोग मिल रहा होगा, वरना इतनी बड़ी मात्रा में ड्रग्स पहुंचना संभव नहीं हैं. पुलिस को ड्रग्स के प्रसार को रोकने के लिए इस नेटवर्क के सपोर्ट सिस्टम को भी ध्वस्त करना होगा.”
भारत में कितना फैला है नशा
संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स एंड क्राइम कार्यालय के एक सर्वे के मुताबिक़, ड्रग्स का इस्तेमाल युवा आबादी में बढ़ रहा है.
भारत के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल डिफेंस के मुताबिक़, क़रीब 3.1 करोड़ लोग गांजे का इस्तेमाल करते हैं जबकि 72 लाख लोग गांजे के आदी हैं.
भारत में ओपिऑइड के कुल यूज़र 2.06 प्रतिशत हैं और क़रीब 0.55 प्रतिशत (लगभग 60 लाख) लोगों को इलाज सेवाओं की ज़रूरत है.
एनआईएसडी के इस सर्वे के मुताबिक़, भारत में 1.18 करोड़ लोग सिडेटिव (गैर-मेडिकल) का इस्तेमाल करते हैं. भारत में क़रीब 18 लाख बच्चे सूंघकर नशा करते हैं.
अनुमान के मुताबिक़ भारत में क़रीब 8.5 लाख लोग इंजेक्शन के ज़रिए नशा लेते हैं.
शीशपाल शिवकंड कहते हैं, “नशे की आसान उपलब्धता ही ड्रग्स के इस्तेमाल के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है. हाल के सालों में नशे को ग्लैमराइज़ भी किया गया है, जिसकी वजह से अधिक तादाद में युवा इसके संपर्क में आ रहे हैं.”
भारत सरकार के सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्रालय ने साल 2020 में नशा मुक्त अभियान शुरू किया था.
नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के इनपुट और भारत में नशे की लत पर किए गए पहले सर्वे के आधार पर इसे देश के 372 ज़िलों में लागू किया गया है.
नशा मुक्त भारत अभियान का मक़सद युवाओं में नशे की लत के प्रति जागरूकता फैलाना और ड्रग्स के कारोबार के ख़िलाफ़ कार्रवाइयां करना है.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक़, इसी के तहत ड्रग्स नेटवर्क के ख़िलाफ़ कार्रवाइयां की जा रही हैं.